कुछ सपने, कुछ ख्वाब,
अपनी राह ढूंड लेते हैं.
ड्रिड हों इरादे अगर,
तो अपनी मंज़िल पा लेते हैं.
अपनी राह ढूंड लेते हैं.
ड्रिड हों इरादे अगर,
तो अपनी मंज़िल पा लेते हैं.
थोड़ी उदासी, थोड़ी झंझनाहट -
यह तो हमारे साथी हैं.
रास्ते के रोड़ों के बाद ही,
डगर नज़र आती है.
यह तो हमारे साथी हैं.
रास्ते के रोड़ों के बाद ही,
डगर नज़र आती है.
कठिनाइयां और बाधाएं तो...
जीवन रंगीन बनातें हैं-
इन्हीं के बहाने तो जनाब हम,
ईश्वर को याद कर पातें हैं.
जीवन रंगीन बनातें हैं-
इन्हीं के बहाने तो जनाब हम,
ईश्वर को याद कर पातें हैं.
कोई भी जंग
दो बार लड़ी जाती हैं -
एक बार अपने मन में
और दूसरी बार सचाईं में.
दो बार लड़ी जाती हैं -
एक बार अपने मन में
और दूसरी बार सचाईं में.
मंज़िल के सपने तो
बहुत देखा करते हैं...
अडिग व साहसी ही -
यह सफ़र तय किया करते हैं.
बहुत देखा करते हैं...
अडिग व साहसी ही -
यह सफ़र तय किया करते हैं.